घणी दूर से दोड़यो | थारी गाडुली के लार | Krishna Bhajan Lyrics in Hindi
घणी दूर से दोड़यो थारी गाडुली के लार,
गाड़ी में बिठाले रे बाबा,जाणो है नगर अंजार ।। टेर ।।
नरसी बोल्यो म्हारे साथ तू कांई करसी,
नरसी बोल्यो म्हारे साथ तू कांई करसी,
ओढ़न कपडा नाही, बैठ तूं सियां मरसी,
ओढ़न कपडा नाही, बैठ तूं सियां मरसी,
बूढ़ा बैल टूटेड़ी गाडी पैदल जावे हार,
गाड़ी में बिठाले रे बाबा,जाणो है नगर अंजार ।। टेर ।।
ज्ञान दासजी कहवे गाडुली तोड़ेगा,
ज्ञान दासजी कहवे गाडुली तोड़ेगा,
ध्यान दासजी कहवे तुमड़ा फोड़ेगा,
ध्यान दासजी कहवे तुमड़ा फोड़ेगा,
घणी भीड़ में टूट जावे म्हारे ईकतारा रो तार,
गाड़ी में बिठाले रे बाबा,जाणो है नगर अंजार ।। टेर ।।
नानी बाई रो भात देखबा चालूगो,
नानी बाई रो भात देखबा चालूगो,
पूण पावलो थाली में भी घालूला,
पूण पावलो थाली में भी घालूला,
दोए चार दिन चोखा चोखा जीमूँ जीमनवाल,
गाड़ी में बिठाले रे बाबा,जाणो है नगर अंजार ।। टेर ।।
जूडा ऊपर बैठ हाकसूं में नारा,
जूडा ऊपर बैठ हाकसूं में नारा,
थे करज्यो आराम दाबसू पग थारा,
थे करज्यो आराम दाबसू पग थारा,
घणी चार के तड़के थाने पहुचा देऊँ अंजार,
गाड़ी में बिठाले रे बाबा,जाणो है नगर अंजार ।। टेर ।।
टूट्योड़ी गाडी भी आज विमान बनी,
टूट्योड़ी गाडी भी आज विमान बनी,
नरसी गावे भजन सुने खुद श्याम धणी,
नरसी गावे भजन सुने खुद श्याम धणी,
सुरया सगळा पीठ थपेडे, जीवतो रे मोट्यार,
गाड़ी में बिठाले रे बाबा,जाणो है नगर अंजार ।। टेर ।।
घणी दूर से दोड़यो थारी गाडुली के लार,
गाड़ी में बिठाले रे बाबा,जाणो है नगर अंजार ।। टेर ।।
✅ FAQs – घणी दूर से दोड़यो थारी गाडुली के लार (Krishna Bhajan)
Q1: "घणी दूर से दोड़यो थारी गाडुली के लार" का अर्थ क्या है?
A: इसका अर्थ है – मैंने बहुत दूर से आकर आपकी गाड़ी की प्रतीक्षा की है। यह श्रीकृष्ण के प्रति प्रेमपूर्ण पुकार है।
Q2: "गाड़ी में बिठाले रे बाबा" का क्या संकेत है?
A: इसका संकेत यह है कि भक्त चाहता है कि श्रीकृष्ण उसे अपने साथ ले चलें — आत्मिक मिलन, मुक्ति या प्रेमलोक की ओर।
Q3: क्या यह भजन राधा-कृष्ण भक्ति से जुड़ा है?
A: हाँ, यह भजन श्रीकृष्ण के प्रति अनुराग, समर्पण और सेवा भावना को अभिव्यक्त करता है। यह राधा-कृष्ण प्रेम परंपरा से प्रेरित हो सकता है।
Q4: "नगर अंजार" का प्रतीकात्मक अर्थ क्या है?
A: यहाँ 'नगर अंजार' आत्मिक धाम, ब्रजभूमि या कृष्ण के दिव्य लोक का प्रतीक हो सकता है, जहाँ भक्त जाना चाहता है।
Q5: क्या यह भजन किसी प्रसिद्ध गायक द्वारा गाया गया है?
A: हाँ, इसे लोकभाषा में कई कलाकारों जैसे विजय सोनी, राजस्थानी भजन गायकों द्वारा प्रस्तुत किया गया है।
Q6: यह भजन किन अवसरों पर गाया जाता है?
A: यह भजन विशेष रूप से कृष्ण जन्माष्टमी, सत्संग, भजन संध्या, और ध्यान सभा में गाया जाता है।
Q7: क्या यह भजन ध्यान और भक्ति साधना में सहायक है?
A: हाँ, यह भजन श्रीकृष्ण से भावपूर्ण मिलन की प्रेरणा देता है, जिससे भक्ति भाव जागृत होता है और साधना गहराती है।
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